Thursday, September 23, 2010

आज फिर लिखने को मन कर रहा है..

ज़िन्दगी इस भागदौड़ में कुछ चैन की सांस ली तो मन हुआ कुछ लिख दिया जाए।

बहुत सोचा क्या लिखूं....

अभी कुछ दिन पहले एक मित्र से मुलाक़ात हुई, वह लिखूं ..... क्या बातें हुई, घर बार की बातें .... यारी दोस्ती की बातें... दुनियादारी की बातें... पर क्या यह भी लिख दूँ..

फिर सोचा दो भाइयो की कहानी लिख दूँ। बहुत दिनों से ब्लॉगर पर है, एडिट करना बाकी है और एक उपयुक्त शीर्षक की तलाश है ... पर बहुत दिन से भाई का फ़ोन नहीं आया, मैंने भी नहीं किया...

मौसम ठंडा है ... मन क्या हिलोरे ले रहा है.... पुराने दिन याद आते हैं.... युनिवर्सिटी के दिन ..... ६ साल गुज़ारे हैं वहां..... कितने दोस्त, अब न जाने कहाँ है सब . ... यूनिवर्सिटी याद आते ही वह भी याद आ जाती है , क्यों नहीं पीछा छोड़ती उसकी याद। सारे सबूत जला चुका .... यह दिल बाकी रह गया ......इसका क्या करूँ ..... यह तो जलता ही रहता है बस धुआं ही है, आग किसी को नज़र नहीं आती....

[...]

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